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माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमिटी ( Minority coordination committee Gujarat,  MCC) का गठन दिनांक 18-12-16 को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर अहमदाबाद में किया गया जिसमे गुजरात में अल्पसंख्यकों के हालात पर चर्चा हुई| आज के ही दिन 1992 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भाषाई, धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के सम्बन्ध में घोषणापत्र पारित किया था| उन्होंने कहा कि गुजरात में अल्पसंख्यकों की आबादी 11.5% है जिसमे मुस्लिम 9.7%, जैन 1.0%, ख्रिस्ती 0.5%, सिख 0.1%, बौद्ध 0.1% व अन्य 0.1% हैं| गुजरात जैसे राज्य में जहाँ लगभग 82.3% मुस्लिम बच्चे प्राथमिक कक्षा में प्रवेश लेते हैं वहीँ 8 वीं तक ये प्रतिशत घटकर 45% व मैट्रिकुलेशन तक पहुँचते- पहुँचते ये प्रतिशत 32.5% रह जाता है| ये अत्यन्त चिंताजनक स्तिथि है| गुजरात राज्य सालों से आन्तरिक विस्थापन का साक्षी रहा है दंगों, दरिया किनारे बड़े बड़े औद्योगिक संयंत्र के कारण लगभग 2 लाख लोग विस्थापित हो कर बड़े शहरों में आकर बसे हैं जो की अधिकतर न्यूनतम जीने लायक सुविधा के अभाव में गन्दी बस्तियों में जिंदगी बिताने को मजबूर हैं| इनमे सबसे अधिक प्रभावित समुदाय मुस्लिम है|सच्चर समिति की रिपोर्ट के मुताबिक मुसलमानों में उच्च जातीय बहुसंख्यक के सापेक्ष 800% अधिक गरीबी है व अन्य पिछड़े वर्ग की तुलना में 50% अधिक| सच्चर समिति के मुताबिक गुजरात के संगठित व मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र मे देश के औसत प्रतिशत 21% से कम सिर्फ 13% ही मुसलमानों की हिस्सेदारी है वहीँ अन्य समुदायों की देश के औसत दर से अधिक है| स्वरोजगार के क्षेत्र में मुसलमानों का प्रतिशत 54% है जो की देश के औसत दर 57% से कम है| वहीँ इनफॉर्मल (अनौपचारिक) क्षेत्र व्यवसाय में मुसलमानों का प्रतिशत 23% है जो की देश की दर 17% से अधिक है| इससे साफ़ है कि राज्य में अल्पसंख्यक भेदभाव का शिकार हो रहे हैं|

सच्चर समिति की सिफारिश के बाद देश में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की स्थापना 2006 में हुई जिसका मुख्य ध्येय देश के अल्पसंख्यकों को मुख्य धारा में लाना है, जिसके लिए वे छात्रवृत्ती, कौशल विकास, वक्फ़ विकास, प्रधानमंत्री 15 सूत्रीय कार्यक्रम, प्रशासनिक परीक्षाओ की तयारी हेतु सहायता, MSDP आदि योजनायें संचालित की जा रही है| गुजरात में अलग से कोई अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय नहीं है और न ही राज्य के बजट में अलग से अल्पसंख्यको के लिए कोई प्रावधान है| गुजरात में बहुसंख्यक धर्म के धार्मिक कर्मकांड सिखाने के लिए बाकायदा कोर्स चलाया जाता है वहीँ भेदभाव के शिकार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कोई योजना नहीं ये भेदभाव का स्पष्ट उदाहरण है|

देश में वंचित वर्गों, समूहों के शिकायत निवारण व विकास के लिए रणनीति बनाने के लिए आयोगों की स्थापना की गयी है जैसे महिला आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, बाल अधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग आदि| अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना बहुत कमज़ोर कानून के तहत हुई है लेकिन गुजरात में अल्पसंख्यक आयोग भी नहीं है|

इसके लिए लघुमति समन्वय समिति गुजरात के तले राज्य स्तरीय आन्दोलन की शुरुआत आज 18 दिसम्बर अंतर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक दिवस से की जा रही है| इस अभियान के तहत पूरे राज्य के प्रत्येक जिलों से 1 लाख पोस्टकार्ड माननीय मुख्यमंत्री को भेजे जायेंगे व 18 सितम्बर 2017 को राज्य के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन व कलेक्टरों को मुख्यमंत्री को संबोधित मांगपत्र दिया जायेगा|

इसके बाद 1 लाख व्यक्तिगत आवेदन माननीय मुख्यमंत्री गुजरात को पूरे राज्य से साइन करा कर सौंपे जायेंगे|

मुजाहिद नफ़ीस

कन्वेनर

09328416230